है याद मुझे कहानी किससे वो बचपन के,
संगीत जो चमच बजाती थी वो बरतन पे,
सत्यवादी एक राजा और था भीम बलवान,
याद है धीरे कछुए ने ली खरगोश की शान,
वो याद मुझे है अचरज एलिस की बातो मे,
चूहे, बंदर सब नाचे थे जो शेरो की बारातो में,
नागराज और एक चाचा साबु संग ग़ज़ब थे,
बेगानी शादी में वो अब्दुल्लाह नाचते तब थे,
हररोज़ मुझे कहानी सुना तू आराम से सोती,
और मेरे बचकाने सवालो पे अपनी नींद खोती,
पर माँ, ये दुनिया उन कहनिओ से अलग है,
सच बता माँ, क्या तू ये देखती तो खुश होती?
झूठ भरा है सब मे यहाँ पे, निर्धन सारे बेचारे है,
दौड़ लगा सब भाग रहे है, किसी घड़ी के मारे है,
तेनाली सारे भूखे मरे और कौए खाते है मोती,
सच बता माँ, क्या तू ये देखती तो खुश होती?
जीवन की रंगीनियो में, प्यार का कोई रंग नही,
नही आए राजकुमार, रेपूंज़ेल टावर पे सड्ती रही,
काँटे उगते है , माँ जब तू यहाँ आम है बोति,
सच बता माँ, क्या तू ये देखती तो खुश होती?
रामराज की बात नही, रामनाम की राजनीति,
बडो का आदर सिखाते श्रवण की नही आपबीती,
कहते ये बच्चे पापा को प्रवीण, तुजको "ज्योति",
सच बता माँ, क्या तू ये देखती तो खुश होती?
जिस "बापू" की बातों में तुजको नयी आस थी दिखती,
सत्य, अहिंसा प्रेम सभी यहाँ उसकी नोटो पे बिकती,
सूरज-कंचन, धूंप-चाँदी, वो सुबह कभीना होती
सच बता माँ, क्या तू ये देखती तो खुश होती?
ऐसी ये दुनिया है, जहाँ तेरी कहानी कोई सच नही
कोई सीख ना चलती है, सच मानी वो भी सच नही,
फल की चिंता रहती है, ना फल, ना चैन हम पाते है,
माँ तूने जो भी सिखाया, किसी और दुनिया की बातें है
(quite a few spelling mistakes here, on a review :). Its difficult to type in English and see it getting typed in Hindi)
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