Wednesday, October 16, 2013

Poem : A Picture says a thousand words :)

(Updating my blog from my other blog)

16 Oct 2013

वक़्त काफ़ी हो गया है,
पर वो तस्वीर भूली नही जाती,

इतवार के दिन,
पार्क में ली थी वो तस्वीर,
वो पेड़ के हरे पत्तो के बीच से,
तुम्हारी कत्थई आँखों पे धुंप टपक रही थी,

पीली कमीज़ पे लाल ओढनी डालते हुए,
थोड़ी शरारत और थोड़ी शर्म से,
"
क्या देख रहे हो?" कहा था तुमने
झेंप के थोड़ा लाल हो गया था मैं,
नीले मफ्लर वाले उन अंकल ने,
बड़े ही प्यार से खींची थी वो तस्वीर,
वो तस्वीर भूली नही जाती,

तुम्हारी आँखे उस तस्वीर में
छुप के मुझे देखती है,
तुम्हारे स्पर्श से परेशान में,
तस्वीर देखने वालों पे नज़रे गाड़े था,
वो रंगीन सपनो की ब्लॅक एंड वाइट तस्वीर,
वो तस्वीर भूली नही जाती,


इतने सालों बाद तुम्हारी खबर मिली है मुझे,
किसी ने बताया तुम चल बसी,


तुम्हारे पुराने संदूक में से जब,
तुम्हारे पोते उस तस्वीर को निकालेंगे,
तब क्या वो समज पायेंगे?
सोचेंगे,
दादा तस्वीर में इतने अलग क्यों लग रहे है,
फिर तुम्हारी कुछ और चीज़ें देख,
थोड़ा रोएंगे तुम्हारी याद में,
वो तस्वीर किसी कोने में पड़ी रहेगी,
वैसी ही शरमाती, मुस्कुराती हुई,

मैं

वो तस्वीर कभी भूल नही पाऊँगा

 

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