जहाँ से तेरा असर गया है
बना के सब तू बिसर गया है
वो मस्त आँखें, वो लाल टीका,
बेजान दरपन निखर गया है
लबों पे वादें, नही वो यादें,
खुमार सर से उतर गया है,
गिरु कभी तो, जो थाम लेता,
वो दोस्त जाने, किधर गया है
बुझी बुझी सी तेरी उदासी,
मनाने वाला किधर गया है,
नियत रही है, बेदाग शीशा,
उठा जो पत्थर, बिखर गया है
पला रगों में उफान बन जो,
वो ताव अब के सिहर गया है
सफ़र हमारा, यहाँ तलक था,
यहाँ से रस्ता, गुज़र गया है
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