Here is one of my first poems. Written in 1999, when Hindi was still a new language for me.These were the times when I first left my home and had gone to the engineering
जब उसने दुनिया बनाई,
क्या क्या चीज़े यार बनाई,
हर साख के साथ एक पेड़ बनाया,
हर फल के साथ एक साख बनाई.
हर दर्द के साथ दवा भी बनाई,
हर जिस्म के साथ एक जान बनाई,
आँखों के साथ आँसू बनाए,
हर खुशी के लए एक हँसी बनाई.
जब उसने पानी बनाया,
एक बड़ा सागर बनाया,
और सागर में मिलने आती,
जाने कितनी नदिया बनाई.
जब उसने आकाश बनाया,
तो साथ में नीचे धरती भी बनाई,
और उड़के अंबर छुने की
सबके मान में एक आश बनाई.
आभ में उपर उँचे उड़ने,
उसने सारे पंछी बनाए,
और दीखाने को ये परबत उँचे,
साथ में गहरी खाई बनाई.
और जब ऐसे बन गई दुनिया,
तब उसने इंसान बनाया,
साथ में अपना ही एक रूप बनाया,
जब उसने माँ बनाई. जब उसने माँ बनाई.
-Jaykumar Shah
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