Tuesday, January 18, 2011

अपने सपनो ही के लिए - A poem

मुश्किल बहुत है यहाँ पे अपने सपनो ही के लिए जीना,
अपने लिए जीना हो या हो अपने अपनो के लिए जीना,

दोराहें है और मोड़ भी है,सफ़र मे हर कदम जहा जाओ,
मंज़िलों के लिए जीना हो, या हो कदमो के लिए जीना?

दिये लिए चलना, रोशन नही है राह सूरज से हर जगह,
आँख बँध हो तो किसी और लौ मे जलने के लिए जीना,

अकेले आए थे पर रिश्ते जो हम बनाते चले, तो अब है,
कुछ कसमो के लिए जीना तो कुछ रस्मो के लिए जीना

मुश्किल बहुत है यहाँ पे अपने सपनो ही के लिए जीना,
अपने लिए जीना हो या हो अपने अपनो के लिए जीना

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