Wednesday, December 9, 2009

Poem : दो बिछ्डे भाई

दो भाई ओ की अनोखी एक बात सुनो तुम,
कुछ वक़्त तक दोनो चले साथ सुनो तुम,
एक था तेज़, एक अपाहिज,
एक की दुनिया, एक की ख्वाहिश,
एक की ज़िंदगी कुछ पाने की चाह,
एक का खाना, दो रोटी संग चा,
एक फॅशन का बादशाह है
एक शर्दि में नंगा काँप रहा है
एक रहता है ३८ वी मंज़िल पे,
एक जो नीचे पहरा देता है ,
एक की चोट पे दुनिया रोती है,
एक की मौत पे घरवाले भी नही ,
एक नया है, संग दुनिया के हंस रहा है ,
एक बीमार सा दुनिया को ताने कस रहा है
एक का चेहरा अख़बारों की सुर्खी
एक
बेचेहरा सा मौत के आँकड़ों में है
जब से बिछ्डे है तब से बिगड़े है ,
कोई कोशिश नही करता मिलाने की,
या फिर वो मिलना ही नही चाहते है,
एक झूझता रहेगा, एक जीता रहेगा दुनिया,
एक गावों में पलता भारत, एक शहेरो का इंडिया

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