Saturday, November 10, 2012

यहाँ पर तो सब ने की है बंध आँखें,


यहाँ पर तो सब ने की है बंध आँखें,
यहाँ पर किसी को दिखा कुछ नहीं है,

यहाँ बैंक देखो ये कर्जो को रोये,
वहाँ सिसकियाँ भरबिना कौर सोये,
यहाँ कुछ निवाले सभी में बटेंगे
ये बच्चों के बारूद समय पर फटेंगे,
ये बिस्कुट वो कोलाकढ़ी पक रह है,
यहाँ पर किसी को दिखा कुछ नहीं है,

यहाँ पर तो सब ने की है बंध आँखें,
यहाँ पर किसी को दिखा कुछ नहीं है
वहां एक कली सी मसल दी गयी थी
वहाँ कोई  बच्ची  जन्मी कभी थी,
यहाँ जल रही थी वो बेटी किसी की,
वहाँ फिर पड़ी थी बिकी आबरू भी
मगर हम कही थेयहाँ हम नहीं थे,  
यहाँ पर किसी को दिखा कुछ नहीं है,

यहाँ पर तो सब ने की है बंध आँखें,
यहाँ पर किसी को दिखा कुछ नहीं है,

यहाँ जब नदी साफ़नालें बनी तो,
यहाँ राख जल के मशालें बनी है,
वहाँ देखो कोई चला नौकरी को,
वो रिश्वत पे  गांधी से दारु मिली है,
यहाँ भूत भोली बना अब परी है,
यहाँ पर किसी को दिखा कुछ नहीं है,

यहाँ पर तो सब ने की है बंध आँखें,
यहाँ पर किसी को दिखा कुछ नहीं है,

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