Thursday, October 21, 2010

Day light saving - A poem

सुना है समय कल से बदलने वाला है,

सूरज को कल से एक घंटा देर से उगने की बात कह दी गई है,
सपने कल से थोड़ा और देखने की मोहलत भी ले ली गई है,
हाथों पे जैसे गोंद चिपकाए उजाला पकड़ने की बात है,
उठी आँखों को सुलाके जैसे कहना "सो आ अभी रात है"

काजल सुबह पे कोई मलने वाला है
सुना है समय कल से बदलने वाला है,


सोचता हू,

कहीं कल से चिड़िया चुप ना रहे, स्कूल-बस के इंतेज़ार में,
और नर्म ओस बरसे ही ना कल, इस बदलाव के व्यापार में,
रंग मौसम के अंधेरे में बदल ना जाए काले होकर,
सोचता हू, के दूर ना हो जाए थोड़े और कांटो की तकरार में,

एक घंटा अनाथ सा कल पलने वाला है,
सुना है समय कल से बदलने वाला है,

अजीब है,
क्रिस्मस से पहेले दिन की रोशनी को क्यों बचाना पड़ता है,
फ़र्क चंद लम्हो का किसी को भी बिलकुल नही अखड़ता है,
पर ये राजसी देश है, ठंडी में वक़्त भी बदल सकते है ये,
जब चाहे हमसे थोड़ी और दूरी बढ़ा, आगे बढ़ सकते है ये,


में जहा से आया हू, वक़्त किसी और ज़माने में थमा हुआ है,
यहाँ लोग अंजान है, आँखों पे सुविधा के कोहरे का धुआँ है,

आशा करता हू,
यहा की डेलाइट सेविंग से थोड़ी रोशनी वहाँ पे भी बढ़े,
वक़्त थोडा सा ही सही सब के लिए थोड़ा आगे ही बढ़े,


इस बार ये मौसम मुझे खलने वाला है,
सुना है, समय कल से बदलने वाला है ,

4 comments:

Anonymous said...

Ok, now this is real me.. and seriously no wah wah this time..

1. It seriously looks like a prose.
2. I think it should be "khuli" aakho ko.
3. Is Christmas an hindi word too ? You know I do not appreciate mixing two languages in a poetry.
4. The flow, there is something odd about it, especially between 2nd and 3rd paragraph.
5. Not your best, definitely..!

Jay said...

thanks shrikant :),

you and Farina are my best critic man! :)

1. Yes
2. Khuli nahi , jaagi hona chahiye tha

3. Christmas is not a hindi word, nor is school bus and nor day light saving :) ...dont worry its fine. I like mixing languages

4. hmm... this makes more sense then the first 3 :). I think you are bang on here. Will try to take care of it next time.

5. Best is always"yet to come"

:) wah wah !

Roopali said...

:)... Waqt kal se badalne vala hai...onsite offshore ke beech ek aur ghanta jurne vala hai... hum to vahein the vahein rahenge waqt mein hamesha...but ab meeting timings ko manage karne ka sar dard aur barhne vala hai..Waqt kal se badalne vaal hai!

Roopali said...
This comment has been removed by the author.
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